संस्कृताध्ययन से सम्पूर्ण विश्व को कुटुम्ब मानने का भावोदय होता है-संत दिव्येश
शाहपुरा-मूलचन्द पेसवानी रामस्नेही वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय में मंगलवार को डा. हरमल रेबारी सेवानिवृत्त आचार्य संस्कृत की अध्यक्षता, रामेश्वर प्रसाद बाल्दी जिला शिक्षाधिकारी शाहपुरा के मुख्यातिथ्य एवं रामचरण कन्याविद्यापीठ के प्राचार्य ओमप्रकाश कुमावत व व्यवस्थापक रामबक्ष दाखेड़ा के विशिष्ट आतिथ्य में संस्कृत दिवस का आयोजन किया गया। रामस्नेही सन्त दिव्येश राम ने संस्कृताध्ययन से सम्पूर्ण विश्व को कुटुम्ब मानने का भावोदय होता है, जबकि आंग्लभाषा के अध्ययन से बाजारवाद की ही भावना पनपती है । मुख्यातिथि बाल्दी ने संस्कृत को संस्कारों की भाषा प्रतिपादित करते हुए बताया कि संस्कृत भाषा ही हमारे प्राचीन ज्ञान की विरासत को सुरक्षित रख सकती है। अध्यक्षीय उद्बोधन में डा. रेबारी ने भारत की सांस्कृतिक निधि की संवाहिका देववाणी संस्कृत की वैज्ञानिकता का प्रतिपादन कर इसके सार्वजनीन, सार्वभौमिक एवं सार्वकालिक अमर संदेशों की मानवता के कल्याण में महनीय भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस समय नासा में आर्यभट्ट एवं वाराहमिहिर के सिद्धान्तों एवं मय दानव के सूर्यसिद्धान्त पर गहन अनुसन्धान हो रहा है। विशिष्ट अतिथि कुमावत ने संस्कृत को सभी भाषाओं की जननी बताकर इसकी उपादेयता पर प्रकाश डाला। संस्थाप्रधान परमेश्वर सुथार ने सभी अतिथियों का आभार ज्ञापित किया। संचालन दीपक बोहरा ने किया ।
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