भीलवाड़ा-मूलचन्द पेसवानी राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने कहा है कि चिंतन विकसित मस्तिष्क की सहज प्रक्रिया है। जहां चिंतन है वहीं विचार है, वैचारिक दर्शन है। चिंतन एक प्रकार का मंथन है। यदि चिंतन शुभ और गहन है, तो मंथन अमृतदायी है और यदि सतही है, तो विष उत्पादक है। राजस्व मंत्री जाट मांडल में लेखिका व साहित्यकार मदीना रंगरेज द्वारा लिखित पुस्तक मन का मंथन-सतत चिंतन की प्रथम कृति जारी करने के मौके पर संबोधित कर रहे थे। लेखिका व साहित्यकार मदीना रंगरेज ने अपने साहित्य की प्रतियां मंत्री को भेंट कर विस्तार से जानकारी दी। राजस्व मंत्री जाट ने कहा कि मदीना रंगरेज ने पूर्व में भी कहानियों की पुस्तकों का प्रकाशन कराया था वो काफी सराहनीय रही। सरकारी स्कूलों में ऐसी पुस्तकें बच्चों के लिए उपयोगी सिद्व होगी। राजस्व मंत्री जाट ने कहा कि समुद्र मंथन से भी पहले प्राणाहार विष ही प्राप्त हुआ था, कारण वह सतही मंथन था। जब सुरों-असरों ने गंभीर होकर गहन मंथन किया, तो उन्हें अमरता प्रदान करने वाला अमृत लाभ हुआ। चिंतन वही शुभकारी होता है, जो अमृतदायी हो। अशुभ चिंतन का यहां विष तो बहुत है, पर विषपायी कोई नहीं है। हमें विषपान से बचने के लिए चिंतन को शुभ रखना ही होगा। इस मौके पर उपखंड अधिकारी मांडल हुकमीचंद रोलानिया, प्रधान शंकरलाल कुमावत, बीडीओ संदेश पाराशर, जनप्रतिनिधि विकास सुवालका, स्थानीय जनप्रतिनिधि, ब्लॉक स्तरीय अधिकारी एवं छात्र छात्राएं मौजूद रहें।
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