भीलवाड़ा 6 जनवरी, मूलचन्द पेसवानी। मेन-ची-खांग मेडिकल कॉलेज के सचिव से मुलाकात कर नवाचारों पर चर्चा। शुक्रवार को श्री नवग्रह आश्रम के वैद्य हंसराज चौधरी ने हिमाचल प्रदेश के मैकलोडगंज व धर्मशाला में तिब्बती पारम्परिक चिकित्सा पद्धति के संस्थानों का अवलोकन किया। तिब्बत की निर्वासित सरकार के विभिन्न संस्थानों का दौरा करते हुए चिकित्सकों व विशेषज्ञों से जानकारियां प्राप्त की और मिलकर आयुर्वेद, खगोल व पारंपरिक चिकित्सा पद्धति से उपचार करने की योजना पर चर्चा की। उल्लेखनीय मोतीबोर खेड़ा के श्री नवग्रह आश्रम सेवा संस्थान के संस्थापक वैद्य हंसराज चौधरी भूटान, नेपाल होते हुए धर्मशाला के मेकलोडगंज स्थित तिब्बत की निर्वासित सरकार द्वारा चलाए जा रहे मेन-ची-खांग मेडिकल कॉलेज पहुँचे, जहां पर ज्योतिष, खगोल विज्ञान और पारम्परिक जड़ी बूटियों के ज़रिए चिकित्सा की जाती है, यहाँ पर देश विदेश के क़रीब 150 स्टूडेंट डॉक्टर की डिग्री की पढ़ाई कर रहे हैं. वैद्य चौधरी ने मेन-ची-खांग मेडिकल कॉलेज के सचिव शेरिंग फ़ुंसाक से भेंट की और उनके साथ आयुर्वेद और हिमालयन पारम्परिक चिकित्सा पद्धतियों को सम्मिश्रित करते हुए एकीकृत चिकित्सा नवाचार सम्बंधी योजनाओं पर बात की। उन्होंने वहाँ स्थित संग्रहालय, हॉस्पिटल और दवा निर्माण इकाई तथा मेडिसनल पलांटेशन भी देखें। चौधरी ने बताया कि भविष्य में मेन-ची-खांग मेडिकल कॉलेज और श्री नवग्रह आश्रम सेवा संस्थान मिलकर विभिन्न रोगों के पारंपरिक उपचार की दिशा में काम करेंगे। मेन-ची-खांग मेडिकल कॉलेज के रेज़िडेंट डॉक्टर और विद्यार्थी नवग्रह आश्रम आएँगे। हंसराज चौधरी ने बताया कि हिमालय क्षेत्र की तीन हज़ार वर्ष से भी प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, जिसे सोवा रिगपा के नाम से जाना जाता है, जिसे भारत के आयुष मंत्रालय से भी मान्यता मिली हुई है, यह प्राचीन विज्ञान ज्योतिष, खगोल शास्त्र, मानव मन और जंगली जड़ी बूटियों के पारंपरिक ज्ञान पर आधारित है, इससे विभिन्न असाध्य रोगों का बहुत सरलता से उपचार किया जाता है। चौधरी ने धर्मशाला स्थित तिब्बती पद्धति से कैंसर चिकित्सा करने वाले चिकित्सकों से भी भेंट की तथा उनके साथ भी विचार विमर्श किया। इसके पश्चात उन्होंने तिब्बती निर्वासित सरकार के निर्वाचन आयोग, उच्चतम न्यायालय, स्वास्थ्य विभाग, प्रकाशन अनुभाग, विदेश मंत्रालय तथा संसद भवन और दलाई लामा बौद्ध विहार का भी विजिट किया। उन्होंने बताया कि भूटान, नेपाल और तिब्बत तथा भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में अद्भुत साम्यता है, आयुर्वेद और सोवा रिगपा तो नब्बे फ़ीसदी मिलते जुलते हैं। इन चिकित्सा पद्धतियों को मिलाकर लोकहित में आम लोगों का नि:शुल्क उपचार करना चाहिये। चौधरी के साथ वरिष्ठ पत्रकार भंवर मेघवंशी व लखन सालवी भी मौजूद रहे।
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